‘हर शै बदलती है’ कहानी में जीवन के प्रति जिजीविषा
Keywords:
समकालीन कहानी, जीवन, द्वंद्व,, हर शै, आस्था, जिजीविषा, सकारात्मकताAbstract
शोध सारांश-
समकालीन कथा साहित्य में युगांतर उपस्थित करने वाली लेखिकाओं में अलका सरावगी का महत्वपूर्ण स्थान है। अपने साहित्यिक कृतियों के द्वारा उन्होंने यथार्थ के विविध पहलुओं को उद्घाटित किया है। अलका सरावगी के यहाँ साधारण जन को महत्त्व मिला है। वे अपनी ही रचना प्रक्रिया पर कहती हैं कि मैंने यह कभी नहीं सोचा था मैं कहानियां भी लिख सकती हूँ लेकिन उन्होंने एक यात्रा के दौरान एक इंसान को जानने की उत्सुकता में ‘आपकी हंसी’ कहानी लिख डाली जो ‘कहानी की तलाश में’ संग्रह में संकलित है। उनकी ‘हर शै बदलती है’ कहानी भी इसी संग्रह में संकलित है। व्यक्ति का अकेलापन, आंतरिक द्वंद्व, कठिन परिस्थितियों में भी जीने की जिजीविषा, स्त्री-पुरुष संबंध, रूढ़ि-परंपरा, आधुनिकता बोध, संयुक्त परिवारों का विघटन, पारिवारिक रिश्तों में खटास, मूल्यहीनता, सांस्कृतिक विघटन, स्त्री शोषण, समाज में हो रहे अमानवीय कृतियाँ, भूमंडलीकरण और बाजारवाद का प्रभाव आदि इनके कथा साहित्य में उभर कर सामने आया है।
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