भारतीय नेपाली कहानियों में अभिव्यक्त नारी चेतना (बिंद्या सुब्बा के ‘हस्पिस’ के विशेष संदर्भ में)

Authors

  • बिद्या छेत्री

Keywords:

नारी चेतना, हस्पिस, पुरुषवादी मानसिकता, सामाजिक विसंगति, परंपरा

Abstract

शोध सार : भारतीय नेपाली कथा लेखिकाओं में दार्जिलिंग स्थित बिंद्या सुब्बा का नाम विशेष रूप से लिया जाता है। उन्होंने अपने लेखन की शुरुआत सन् साठ के दशक में ‘जीवनफूल’ कविता से किया और 1972 ई॰ में ‘जलन’ कहानी लिखकर कथा साहित्य में भी अपनी उपस्थिती दर्ज की। बिंद्या पेशे से अध्यापिका और नर्सिंग की प्रशिक्षक भी रही हैं। उन्होंने अपने जीवानुभवों को लेखन के माध्यम से अभिव्यक्त किया है। कविता, कहानी, उपन्यास, संस्मरण-लेखन, अनुवाद आदि अनेक क्षेत्र में उन्होंने अपनी कलम चलाई है। उनकी रचनाओं की संवेदनशीलता पाठकों को स्वतःआकृष्ट करती है। उनकी तीन कहानी संग्रहों में से ‘हस्पिस’ अप्रतिम है। इस संग्रह में कुल सत्रह कहानियाँ संकलित हैं। बिंद्या  सुब्बा की कहानी संग्रह ‘हस्पिस’ सन् 2003 में प्रकाशित है। इनकी कहानियाँ मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग की समस्याओं खासकर नारी समस्याओं को लेकर आगे बढ़ती है। कहानियों में नारी अपने परंपरागत स्वभाव से अलग अपने हौसलों में काफी बुलंद दिखती है। पुरुषवादी मानसिकता भले उसके पर काटने में लगे हुए हों पर वह हार नहीं मानती है। मनुष्य जीवन के उतार-चढाव, सुख-दुःख, आशा-निराशा आदि को व्यक्त करती ‘हस्पिस’ की कहानियाँ, घटनाएँ और पात्र जीवंत लगते हैं। पाठक अनायास ही उनके सुख में हंसने और दुःख में रोने लगते हैं।

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Author Biography

बिद्या छेत्री

पीएच.डी. शोधार्थी हिंदी विभाग, सिक्किम विश्वविद्यालय, गंगटोक 

Published

2023-05-08

How to Cite

बिद्या छेत्री. (2023). भारतीय नेपाली कहानियों में अभिव्यक्त नारी चेतना (बिंद्या सुब्बा के ‘हस्पिस’ के विशेष संदर्भ में) . पूर्वोत्तर प्रभा, 2(2 (Jul-Dec), p. 1–6. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/131