विनोबा भावे का अंतिम उद्गार : खादी-मिशन

Authors

  • पंकज कुमार सिंह पोस्ट-डॉक्टरल फेलो (ICPR, New Delhi), गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा

Keywords:

गांधी, विनोवा, खादी-मिशन, आयोग

Abstract

शोध सारांश-

महात्मा गांधी के जाने के बाद ‘खादी’ कुछ समय अपने मूल स्वरूप में चलता रहा किंतु 1956 में ‘खादी और ग्रामोद्योग आयोग’ बना, जिसने खादी जगत को आर्थिक सहायता दी जिससे रोजगार तेजी से बढ़ा। समय के साथ यह आर्थिक सहयोग ‘खादी और ग्रामोद्योग आयोग’ और खादी संस्थानों में भ्रष्टाचार का बीज बो दिया। इससे खादी संस्थानों की स्थिति खराब होने लगी इस पर विनोबा भावे ने खादी विचार को आगे बढ़ाने और गांधी के सपनों को पूरा करने हेतु ‘खादी-मिशन’ की स्थापना 2 अक्टूबर, 1981 में की तब से ‘खादी-मिशन’ उस दायित्व को पूरा करने की कोशिश कर रहा है। खादी-मिशन की स्थापना पवनार आश्रम की एक सभा में हुई, जो आज भी स्वतंत्र व अपंजीकृत संस्था है। बावजूद इसके, पूरे देश की खादी संस्थायें इसके बैनर तले एक हैं। यह शोध पत्र खादी मिशन के उद्देश्यों व कार्यों का विश्लेषण करता है।

Downloads

Download data is not yet available.

Downloads

Published

2022-11-24

How to Cite

पंकज कुमार सिंह. (2022). विनोबा भावे का अंतिम उद्गार : खादी-मिशन. पूर्वोत्तर प्रभा, 2(1 (Jan-Jun), p: 122–133. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/93