ममता कालिया की कहानी काली साड़ी में अभिव्यक्त स्त्री-जीवन
Keywords:
पितृसत्ता, मानसिकता, आकांक्षाओं, संघर्ष, पारंपरिक, दृष्टिकोणAbstract
शोध-सारांश :
नए परिवेश में हिन्दी कहानी ने नयी दिशा ली। कथा साहित्य के केंद्र में नारी को प्रतिष्ठित किया गया। स्वतंत्र्योत्तर परिवेश में साहित्य के अन्य विधाओं के साथ-साथ कहानियों ने भी अपनी जगह बनाने में सफलता प्राप्त की। इनमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि कथा साहित्य के केंद्र में नारी ने प्रतिष्ठा पायी। युगों से प्रताड़ित भारतीय नारी के अंदर निजी अस्मिता को बुलंद करने का काम कहानियों ने किया। महिला कहानीकारों ने महिलाओं के दुख-दर्द, संघर्ष एवं समस्याओं की गाथा को अपनी रचनाओं का साधन बनाया। इसी दौरान ममता कालिया ने अपनी रचनाओं में भारतीय नारी की जीवन गाथा को शब्दबद्ध करने की कोशिश की। उन्होंने परंपरागत स्त्री-पुरुष सम्बन्धों को नकारकर सुशिक्षित नारी की संवेदनाओं को उभारने का प्रयास अपने रचनाओं के जरिये किया है। उनके नारी पात्रों की खासियत यह है कि वे अपनी सहज अनुभूतियों को साहसपूर्वक वहन करने में सक्षम है। उनके नारी पात्र अपने परंपरागत अबला स्वरूप को छोड़ आधुनिक सबला स्वरूप ग्रहण करने में सक्षम है। ममता कालिया ने नारी जीवन के विविध पक्षों को सूक्ष्मता से पहचाना है। उनकी कहानियों में शिक्षित मध्यवर्गीय स्त्री की आशाओं, आकांक्षाओं, संघर्षों और स्वप्नों का यथार्थपरक अंकन हुआ है। स्त्री के प्रति परम्परागत दृष्टिकोण को वह नकारती है।
Downloads
Downloads
Published
How to Cite
Issue
Section
License
Copyright (c) 2022 पूर्वोत्तर प्रभा
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International License.