हिंदी की व्यंग्य प्रधान ग़ज़लें

Authors

  • जियाउर रहमान जाफरी सहायक प्रोफेसर, स्नातकोत्तर हिंदी विभाग, मिर्जा गालिब कॉलेज गया, बिहार

Keywords:

ग़ज़ल, व्यंग्य, भंगिमा, कटाक्ष, भ्रष्टाचार, लाक्षणिकता, व्यंजना शक्ति, इंतजामिया

Abstract

शोध सारांश:-

            हिंदी ग़ज़ल ने उर्दू के प्रेम काव्य को ठुकरा कर उसे आम लोगों की तकलीफों से जोड़ दिया। दुष्यंत की गजलों का जन्म ही सत्ता के खिलाफ़ बगावत से शुरू हुआ था।अदम गोंडवी से लेकर जहीर की गजलों में भी इसी विरोध का स्वर मिलता है। विरोध का यह रूप कहीं आक्रामकता लिए हुए है, तो कहीं व्यंग्य के माध्यम से उसने अपने भावों का प्रस्फुटीकरण रूप में है, इसलिए हिंदी शायरी में स्वभावतः व्यंग्य की प्रवृत्ति मौजूद रही है। हिंदी के तमाम ग़ज़लकारों के ऐसे शेर इसके उदाहरण हैं।

Downloads

Download data is not yet available.

Downloads

Published

2022-11-24

How to Cite

जियाउर रहमान जाफरी. (2022). हिंदी की व्यंग्य प्रधान ग़ज़लें. पूर्वोत्तर प्रभा, 2(1 (Jan-Jun), p: 88–92. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/88