हिंदी की व्यंग्य प्रधान ग़ज़लें
Keywords:
ग़ज़ल, व्यंग्य, भंगिमा, कटाक्ष, भ्रष्टाचार, लाक्षणिकता, व्यंजना शक्ति, इंतजामियाAbstract
शोध सारांश:-
हिंदी ग़ज़ल ने उर्दू के प्रेम काव्य को ठुकरा कर उसे आम लोगों की तकलीफों से जोड़ दिया। दुष्यंत की गजलों का जन्म ही सत्ता के खिलाफ़ बगावत से शुरू हुआ था।अदम गोंडवी से लेकर जहीर की गजलों में भी इसी विरोध का स्वर मिलता है। विरोध का यह रूप कहीं आक्रामकता लिए हुए है, तो कहीं व्यंग्य के माध्यम से उसने अपने भावों का प्रस्फुटीकरण रूप में है, इसलिए हिंदी शायरी में स्वभावतः व्यंग्य की प्रवृत्ति मौजूद रही है। हिंदी के तमाम ग़ज़लकारों के ऐसे शेर इसके उदाहरण हैं।
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Published
2022-11-24
How to Cite
जियाउर रहमान जाफरी. (2022). हिंदी की व्यंग्य प्रधान ग़ज़लें. पूर्वोत्तर प्रभा, 2(1 (Jan-Jun), p: 88–92. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/88
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शोध लेख
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