डॉ. कुँअर बेचैन की ग़जलों का शैली वैज्ञानिक अध्ययन

Authors

  • तेज प्रताप टंडन शोधार्थी, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा

Keywords:

हिंदी गज़ल, शैली, चयन, विचलन, समानांतरता

Abstract

शोध सारांश-

डॉ. बेचैन ने भाषा के कलेवर को गढ़ा, भाषा को चुस्त और दुरुस्त बनाया है। यही गढ़ने-मढ़ने की प्रक्रिया इनकी विशिष्ट, अलग व अनोखी शैली का विधान करती है जिससे ग़ज़लों को नई सर्जना और नया आयाम प्रदान होता है, जो अपने समय का महत्वपूर्ण तथ्य, साक्ष्य व दस्तावेज़ बनकर साहित्य को, उसकी भाषाई विकास और परंपरा को विश्लेषित करने में सहायक सिद्ध होती है। यही कारण है कि डॉ. बेचैन भाषा-शैली की दृष्टि से समृद्ध हैं और इसलिए हिंदी ग़ज़ल के प्रतिनिधि हस्ताक्षर, कलमकार एवं हिंदी भाषा की अमूल्य निधि कहे-सुने तथा माने जाते हैं।

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Published

2022-11-24

How to Cite

तेज प्रताप टंडन. (2022). डॉ. कुँअर बेचैन की ग़जलों का शैली वैज्ञानिक अध्ययन . पूर्वोत्तर प्रभा, 2(1 (Jan-Jun), p: 77–87. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/87