कुंवर नारायण की कविता नचिकेता में अभिव्यक्त मिथकीय संदर्भ

Authors

  • प्रीति सिंह विद्यार्थी, एम. ए., हिंदी विभाग सिक्किम विश्वविद्यालय, सिक्किम

Keywords:

मिथकीय प्रसंग, सार्थक, आधुनिकता बोध, जीवन मूल्य, नैतिक मूल्य, पीढ़ियों का द्वंद्व

Abstract

शोध सारांश :

            बहुविध प्रतिभा के धनी कुंवर नारायण नयी कविता के दौर के विशिष्ट कवि माने जाते हैं। कुंवर नारायण अपनी रचनाशीलता में इतिहास और पौराणिक मिथक प्रसंग के माध्यम से वर्तमान को देखने के लिए जाने जाते हैं। उनके द्वारा रचित खंड काव्य ‘आत्मजयी' का मूल कथासूत्र कठोपनिषद के दशवे स्कंध से लिया गया है, जो नचिकेता (पुत्र) एवं वाजश्रवा (पिता) के मिथकीय प्रसंग पर आधारित है। यह कविता आधुनिक चेतना का काव्य है,जिसमें नचिकेता और वाजश्रवा के मिथकीय प्रसंग के जरिये समाज की विसंगतियों के विरुद्ध आवाज को उठाया गया है साथ ही आधुनिक चिन्तनशील मनुष्य की विवशता और अकुलाहट को भी प्रकट किया गया है।  ‘नचिकेता’ कविता में नचिकेता आधुनिक चिन्तनशील मनुष्य,नयी चेतना तथा नयी पीढ़ी का प्रतीक है,जिसे पुरानी पीढ़ी अपनी पुरानी रूढ़िवादी मान्यताओं के आधार पर  दबाना चाहती है,वहीं वाजश्रवा ठहरे हुए मूल्य के वाहक पीढ़ी अर्थात् पुरानी पीढ़ी का प्रतीक है। इस कविता में दो पीढ़ियों के द्वंद्व के माध्यम से युगीन सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक तथा राजनीतिक समस्याओं पर व्यंग्य किया गया है।

            जिज्ञासु नचिकेता जीवन और मृत्यु के सत्य को जानना चाहता है तथा रूढ़ियों का विरोध कर सवाल खड़े करता है और नैतिक मूल्यों की स्थापना करता है। वह समाज के भौतिक एवं सांसारिक सुख - सुविधा को क्षणिक सुख की संज्ञा देता है।  ‘नचिकेता' कविता जीवन को सुखी बनाने की अपेक्षा सार्थक बनाने का पक्ष लेता है।                                                                                   

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Published

2022-11-24

How to Cite

प्रीति सिंह. (2022). कुंवर नारायण की कविता नचिकेता में अभिव्यक्त मिथकीय संदर्भ. पूर्वोत्तर प्रभा, 2(1 (Jan-Jun), p: 70–76. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/86