प्रेम-सौन्दर्य और दु:ख से संवाद करती कविताएँ : ‘दु:ख चिठ्ठीरसा है’
Keywords:
प्रेम, जीवन, मृत्यु, दुख, अनुपस्थिति, अवसाद, समाज, कविताAbstract
शोध सारांश :-
‘दु:ख चिठ्ठीरसा है’ अशोक वाजपेयी का तेरहवाँ काव्य-संग्रह है, जो सन् 2008 ई. में राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। ‘दु:ख चिठ्ठीरसा है’ काव्य-संग्रह में छोटी-बड़ी कुल मिलाकर 97 कविताएँ संकलित हैं जिसमें एक ओर प्रेम के उल्लास का प्रकाश है तो वहीं अवसाद से ग्रस्त छाया भी। इस संग्रह कविताओं में सामाजिक और निजी का द्वैत नहीं दिखता बल्कि अनुभव और विचार दोनों एक साथ ही शब्दों के मार्फ़त प्रकट हुए हैं। इस काव्य-संग्रह में 11 प्रेम कविताएँ और 11 अनुपस्थिति पर केन्द्रित कविताएँ भी हैं, जो अशोक वाजपेयी की कविता का मुख्य विषय रही हैं, प्रेम, मृत्यु और जीवन। अन्य कविताएँ भी इन्हीं विषयों के इर्द-गिर्द घूमती हुई प्रतीत होती हैं। अशोक वाजपेयी के इस काव्य-संग्रह में उनकी काव्य-यात्रा का अहम पड़ाव दृष्टिगोचर हुआ है। इस संग्रह की कविताओं में रागात्मकता का व्यापक विस्तार देखने को मिलता है। एक ओर जहाँ जीवन की विफलता का एहसास, दु:ख,अवसाद और पछतावे के सिवाय कुछ नजर नहीं आता है, वहीं दूसरी ओर दु:ख और अवसादग्रस्त समय में भी प्रेम करने की जिद,एक वरिष्ठ कवि का प्रेम के प्रति अति लगाव दृष्टव्य है।
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