‘पीर पर्वत हो गई है’ तथा ‘तेस्रो घर’ कहानी का तुलनात्मक अध्ययन
Keywords:
मनुष्य, आदिम, अवस्था, विकसित, अविकसित, मस्तिष्कAbstract
शोध सारांश–
मनुष्य के जीवन में जब भी पहली घटना घटी, सुनाने के लिए जब भी उसके पास कुछ हुआ, सुनने के लिए जब भी उसे कोई मिला, तभी कहानी ने जन्म लिया। इसीलिए कहानी उतनी ही पुरानी है जितना कि मानव। इस सन्दर्भ में ई एम.फोसर्टर लिखते है-“कहानी मनुष्य की आदिम अवस्था से संबद्ध है। यह तब उत्पन्न हुई थी जब मनुष्य पढ़ना भी नहीं सीखा था, साहित्य के मूल रूप उत्पन्न हो रहे थे, इसीलिए कहानी हमारी आदिम प्रवृत्तियों को अपील करती है।” (Forster, 2002, pg. 47) कहानी अपने छोटे मुँह बड़ी बात कहने का साहस रखती है। कहानी सदैव अविकसित और विकसित दोनों प्रकार के मस्तिष्कों के लिए ज्ञान -प्रसार का साधन रही है। कहानी जैसी सीधी -सादी साहित्यिक विधा है, वैसी ही उसकी कला विशद और बहुशाखामय है।
Downloads
Downloads
Published
How to Cite
Issue
Section
License
Copyright (c) 2022 पूर्वोत्तर प्रभा
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International License.