‘पीर पर्वत हो गई है’ तथा ‘तेस्रो घर’ कहानी का तुलनात्मक अध्ययन

Authors

  • सोनामित लेप्चा शोधार्थी, हिंदी विभाग विश्व भारती शांति निकेतन, पश्चिम बंगाल

Keywords:

मनुष्य, आदिम, अवस्था, विकसित, अविकसित, मस्तिष्क

Abstract

शोध सारांश

मनुष्य के जीवन में जब भी पहली घटना घटी, सुनाने के लिए जब भी उसके पास कुछ हुआ, सुनने के लिए जब भी उसे कोई मिला, तभी कहानी ने जन्म लिया। इसीलिए कहानी उतनी ही पुरानी है जितना कि मानव। इस सन्दर्भ में ई एम.फोसर्टर लिखते है-“कहानी मनुष्य की आदिम अवस्था से संबद्ध है। यह तब उत्पन्न हुई थी जब मनुष्य पढ़ना भी नहीं सीखा था, साहित्य के मूल रूप उत्पन्न हो रहे थे, इसीलिए कहानी हमारी आदिम प्रवृत्तियों को अपील करती है।” (Forster, 2002, pg. 47) कहानी अपने छोटे मुँह बड़ी बात कहने का साहस रखती है। कहानी सदैव अविकसित और विकसित दोनों प्रकार के मस्तिष्कों के लिए ज्ञान -प्रसार का साधन रही है। कहानी जैसी सीधी -सादी साहित्यिक विधा है, वैसी ही उसकी कला विशद और बहुशाखामय है।

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Published

2022-11-24

How to Cite

सोनामित लेप्चा. (2022). ‘पीर पर्वत हो गई है’ तथा ‘तेस्रो घर’ कहानी का तुलनात्मक अध्ययन. पूर्वोत्तर प्रभा, 2(1 (Jan-Jun), p: 51–58. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/84