शिवमूर्ति की कहानियों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन
Keywords:
मनोविज्ञान, द्वंद्व, स्वाभिमान, सामाजिक रूढ़ि, अधिकार, परिवेशAbstract
शोध सारांश
हिंदी कहानी में शिवमूर्ति एक चर्चित कहानीकार हैं। उनकी कहानियों में वर्ग-संघर्ष और सत्ता संघर्ष की उपस्थिति जिस सलीके से मिलती है वह बहुत रोचक है। मुख्यतः स्त्री को केंद्र में रख कर जिस नाटकीयता से वो कहानियों का लेकर आते हैं वो हर गाँव और घर की कहानी प्रतीत होने लगती है। हिंदी जगत में इनकी कहानियों के विभिन्न पक्षों पर ख़ूब लिखा पढ़ा गया है। इस लेख के द्वारा शिवमूर्ति की कहानियों को मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देखने की कोशिश की गयी है। मनोविज्ञान के अनुसार व्यक्ति इद, इदम और सुपर इदम के सिद्धांत पर व्यवहार करता है इन्हीं के कारण वह सकारात्मक एवं नकारात्मक कार्यों में संलग्न होता है। हिंदी में बहुत सी कहानियाँ मनोविज्ञान केन्द्रित हैं। शिवमूर्ति की कहानियों को भी इस नजरिये से देखा जा सकता है। कुंठाग्रस्त एवं प्रतिशोध की भावना से ग्रस्त विभिन्न पात्र इनकी कहानी में हैं। लेखक ने कहानी की विषयवस्तु और घटनाओं के चित्रण में मनोवैज्ञानिक निकष पर सफलता पाई है।
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