अपर्णा महांति की कविताओं में स्त्री-प्रतिरोध का स्वर

Authors

  • दिब्यरंजन साहू सहायक अध्यापक, आर्यभट्ट कॉलेज, झारसुगड़ा, ओड़िशा

Keywords:

विमर्श, ओड़िया कविता, स्त्री अस्मिता, कुंठाभिव्यक्ति, पितृसत्ता, भूमंडलीकरण

Abstract

शोध सारांश :

प्रत्येक भारतीय भाषा में रचित साहित्य का अपना स्वतंत्र वैशिष्ट्य है। निश्चित रूप से भारतीय काव्य के इतिहास में समकालीन कविता का बहुत ही सार्थक एवं सजग हस्तक्षेप है। समकालीनता एक समय सापेक्ष अवधारणा है, ऐसे में समकालीन कविता का अपने समय एवं समाज की तत्कालीन स्थितियों एवं विचारधारा से प्रभावित होना स्वाभाविक है। स्पष्ट है, समकालीन ओड़िया कविता जगत में अपर्णा महांति एक सशक्त हस्ताक्षर के रूप में अविस्मरणीय हैं। निःसंदेह वह समकालीन ओड़िया कविता की वर्तमान पीढ़ी की मुखर अभिव्यक्ति हैं। विमर्शमूलक लेखन, खासकर कविता में स्त्री विमर्श के संदर्भ में उनकी उपस्थिति बहुत ही अहम है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि समकालीन ओड़िया कविता में अपर्णा महांति अपने समय की सबसे चर्चित एवं अग्रणी रचनाकारों में से एक हैं। उनकी कविताओं में स्त्री मुद्दे एवं तमाम जद्दोजहद प्रमुखता से उभरकर आए हैं। ओड़िया समकालीन कविताओं में ‘स्त्री अस्मितामूलक लेखन’ को उन्होंने अपनी रचनाशीलता के जरिए सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया है।

Downloads

Download data is not yet available.

Downloads

Published

2022-11-24

How to Cite

दिब्यरंजन साहू. (2022). अपर्णा महांति की कविताओं में स्त्री-प्रतिरोध का स्वर. पूर्वोत्तर प्रभा, 2(1 (Jan-Jun), p. 08–13. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/78