बुद्ध धम्म परीक्षा का समीक्षात्मक अध्ययन

Authors

  • नीतू थापा शोधार्थी, हिंदी विभाग, पूर्वोतर पर्वतीय विश्वविद्यालय शिलांग

Keywords:

धम्म परीक्षा, बुद्धत्व, कल्याण, अष्टांगिक, मानवता

Abstract

शोध सारांश:

समाज एक से अधिक लोगों के समुदाय से मिलकर बने एक वृहद समूह को कहते हैं, जिसमें सभी व्यक्ति मानवीय क्रिया कलाप करते हैं। जब मानव अपनी मानवता खो बैठता है तो उसी समाज में जाति, धर्म एवं ऊंच-नीच के नाम पर अलगाव देखने को मिलता है। इसी मानवता को बचाने के लिए समय-समय पर ऐसे व्यक्तियों का जन्म हुआ जिन्होंने अपने अच्छे कार्य एवं उपदेशों के माध्यम से समाज को सही दिशा देने का काम किया। ऐसे ही समय में गौतम बुद्ध जैसे महापुरुष का जन्म हुआ था जिन्होंने अपना समूचा जीवन समाज कल्याण हेतु समर्पण कर दिया। जिनके उपदेश वर्तमान समय में भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितना महत्वपूर्ण तत्कालीन समय में था। बौद्ध धर्म किसी भी धर्म अथवा समुदाय का विरोध नहीं करता। बल्कि वह समाज में निहित जातिवाद, कर्मकांड, पाखंड, हिंसा और अनाचार का विरोध करता है। बुद्ध ने उन सभी को आश्रय दिया जिन्हें समाज में अवहेलित माना गया।

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Published

2022-11-24

How to Cite

नीतू थापा. (2022). बुद्ध धम्म परीक्षा का समीक्षात्मक अध्ययन . पूर्वोत्तर प्रभा, 2(1 (Jan-Jun), p. 01–07. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/77