संपादकीय
Abstract
संपादकीय
आत्मीय पाठक वृन्द
'पूर्वोत्तर प्रभा' का प्रवेशांक आपके हाथों में है ,यह एक शोध पत्रिका है,जीवन की प्रकृति जैसी विस्तृत-व्यापक होती है आलेखों के संकलन में भी इसी दृष्टि को केंद्र में रखा गया है,जहाँ विषय की विविधता है,जीवन के विविध रंग की मौजूदगी।
शोध एक गंभीर प्रक्रिया है। इसका अपना एक शास्त्र है ,जिसके अनुसरण से ज्ञान के क्षेत्र में नया अध्याय जोड़ने की कोशिश होती है। 'पूर्वोत्तर प्रभा' का लक्ष्य शोध की गंभीरता से शोधार्थी का परिचय करवाना है,शोध कार्य की दिशा में उन्हें प्रोत्साहित कर शोध की अच्छी समझ को विकसित करना है । वहीं इस बात की कोशिश भी है कि शोधार्थी अपने अध्ययन प्रवृत्ति को उन्नत करें ताकि शोध की सही दिशा में आगे बढ़ा जा सके। शोधार्थी को 'पूर्वोत्तर प्रभा' के माध्यम से अभिव्यक्ति का मंच मिल सके, इसी उद्देश्य को केंद्र में लेकर इस पत्रिका का प्रस्थान हुआ है।
लम्बे प्रयासों के बाद सिक्किम विश्वविद्यालय का हिंदी विभाग अपनी विभागीय पत्रिका के स्वप्न को मूर्त कर पाया है। यह हमारे लिए प्रसन्नता का क्षण है। संपादक मंडल के सहयोग से यह कार्य संपन्न हुआ है, मैं संपादक मंडल के सभी सदस्यों के प्रति अपना आभार प्रकट करती हूँ और भविष्य में भी उनसे निरंतर ऐसे ही सहयोग की अपेक्षा करती हूँ।
पत्रिका के गुण-दोषों की विवेचना अवश्य होनी चाहिए परन्तु प्रेम और स्वीकार के साथ ताकि शोधार्थी अपने प्रयत्नों में हतोत्साहित नहीं बल्कि और बेहतरीन करने का उत्साह उन्हें प्राप्त हो। आप सबसे प्रतिक्रिया की अपेक्षा रखते हैं ताकि आगामी अंकों में आपकी अपेक्षाओं में खरा उतरने का प्रयत्न हो सके।
कोरोना काल के इस भयाक्रांत माहौल में मिट्टी का सा साहस और जीवन की अदम्य जिजीविषा का होना आवश्यक है। ऐसी विकट परिस्थिति में संवेदनशीलता और प्रेम रस की धारा निरंतर बहती रहे ताकि विकट परिस्थितियों में मन और तन का संबल बना रहे।
शुभकमानाओं सहित !
संपादक
चुकी भूटिया
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