पर्यावरण एवं मानवाधिकार के प्रश्न हिमालय एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र के विशेष सन्दर्भ में

Authors

  • अभिषेक सौरभ भारतीय भाषा केंद्र, जेएनयू, नई दिल्ली

Keywords:

पर्यावरण, मानव अधिकार, संरक्षण, पूर्वोत्तर भारत, चिपको आन्दोलन, परिवेश, भारतीय हिमालयी क्षेत्र

Abstract

शोध-सारांश

जहाँ एक ओर भारतवर्ष में विविधता हम पर्यावरण के पैमानों और भौगोलिक संरचनाओं के आधार पर माप सकते हैं, वहीं दूसरी ओर सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी भारत विविधताओं में एकता का देश है | व्यावहारिक सन्दर्भों में, हम आमतौर पर मानवाधिकार की संकल्पना को पूर्णतया मानव के निजी अधिकारों की संरक्षा एवं हनन से ही जोड़कर देखने के अभ्यस्त हैं जबकि भारत के पूर्वोत्तर-वासी एवं हिमालय के स्थानीय निवासियों के लिए मानव अधिकार की एक कड़ी पर्यावरणीय अधिकारों से भी नाभि-नालबद्ध है | भारतीय हिमालयी क्षेत्र (Indian Himalayan Region) करीब 13 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, असम के दो जिलों दीमा हसाओ और कार्बी एंगलोंग तथा पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग और कालिम्पोंग क्षेत्रों तक लगभग 2500 किमी की लंबाई और 250 से 300 किमी की चौड़ाई में फैला हुआ है | पर्वतराज हिमालय के आँचल में बसे राज्यों में पर्यावरण संरक्षण की अक्षुण्णता को बरकरार रखने के लिए पर्वतीय प्रदेश के मूल निवासियों ने कभी भी किसी बाहरी शक्ति से पर्यावरण को क्षति पहुँचा सकने वाला समझौता नहीं किया | अपितु जब भी पर्यावरण-संरक्षण पर खतरे का आभास उन्हें हुआ, हिमालय वासियों ने अपनी जान की कीमत पर खेलकर पर्यावरण को किसी भी तरह के नुकसान होने से बचाया | उत्तराखंड के ‘चिपको आन्दोलन’ को इस सन्दर्भ में बख़ूबी देखा जा सकता है | उस वक़्त अर्थात 1970 के दशक में अविभाजित उत्तरप्रदेश (वर्तमान उत्तराखंड) के पर्वतीय क्षेत्र के किसानों ने कटाई के लिए चिह्नित ‘पेड़ों से चिपककर’ वन विभाग द्वारा पेड़ों की अव्यावहारिक कटाई के प्रयास का तीव्र विरोध किया था | अपने मूल-कलेवर में ‘चिपको आंदोलन’ सैकड़ों विकेंद्रित तथा स्थानीय स्वत: स्फूर्त प्रयासों का परिणाम था | दिलचस्प तथ्य यह है कि स्थानीय लोगों ने तब पेड़-पौधों पर अपना पारम्परिक अधिकार जताते हुए, पर्यावरण को अपने जीवन का स्वाभाविक अंग बताया था | यहाँ इस परिप्रेक्ष्य में पर्यावरण का अधिकार मानव के अधिकारों से सीधी तौर पर जुड़ जा रहा है |

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Author Biography

अभिषेक सौरभ, भारतीय भाषा केंद्र, जेएनयू, नई दिल्ली

शोध-छात्र, भारतीय भाषा केंद्र, जेएनयू

नई दिल्ली 110067

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Published

2022-05-05

How to Cite

अभिषेक सौरभ. (2022). पर्यावरण एवं मानवाधिकार के प्रश्न हिमालय एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र के विशेष सन्दर्भ में. पूर्वोत्तर प्रभा, 1(1 (Jan-Jun), p.6–10. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/7