जितेन्द्र श्रीवास्तव की कविताओं में स्त्री चेतना
Keywords:
नारीत्व, उपभोक्तावादी संस्कृति, भूमंडलीकरण, उपभोगपरक, बाजारवाद, सामाजिक दृष्टिकोणAbstract
शोध-सारांश :
समकालीन कविता में जितेंद्र श्रीवास्तव एक चर्चित नाम है। उनके द्वारा लिखी गई स्त्री से संबंधित कविताएँ बहुविध हैं। आज की स्त्रियाँ अपनी पहचान के लिए संघर्षरत हैं। अपने ऊपर हो रहे अत्याचार को लेकर स्त्रियाँ चुप नहीं बैठती, इसके लिए विश्व पटल पर आन्दोलन जारी है। स्त्रियाँ बाजारवादी दृष्टि से ऊपर उठकर प्रेम की आशा रखती हैं। कवि की कविताएँ समाज का स्त्री के प्रति दृष्टिकोण बदलने की बात करती हैं। नजरिया बदलने से स्त्रियाँ सभी क्षेत्रों में अपना परचम लहरा पायेगी और लहरा रही हैं।
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Published
2022-05-12
How to Cite
परमजीत कुमार पंडित. (2022). जितेन्द्र श्रीवास्तव की कविताओं में स्त्री चेतना. पूर्वोत्तर प्रभा, 1(2 (Jul-Dec), p.6–10. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/68
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लेख
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