राजस्थान का लोक साहित्य : एक सांस्कृतिक विश्लेषण
Abstract
सारांश :
रंगीले राजस्थान के कई रंग है। कहीं रेगिस्तानी बालू पसरी हुई है तो कहीं अरावली की पर्वत-श्रृंखलाएं अपना सिर ऊँचा करके खड़ी हुई हैं। इस प्रदेश में शौर्य और बलिदान ही नहीं, साहित्य और कला की भी अजस्र धारा बहती है। चित्रकलाओं ने भी मानव की चिंतन शैली को विकसित व प्रभावित किया है। लोक-साहित्य एवं संस्कृति के लिहाज से राजस्थान समृद्ध प्रदेश है। राजस्थान में साहित्य, संस्कृति, कला की त्रिवेणी बहती है, जीवन कठिन होने के कारण इन कलाओं ने मानव को जिंदगी से लड़ने का हौसला दिया है। यहीं पर महाराणा प्रताप हुए, संत कवयित्री मीरा, कलाप्रेमी कंुभा, चतरसिंह जी बावजी, भृतहरि, बिहारी और अन्य सैकड़ों नाम हैं।
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