‘कवितावली’ में महामारी का परिदृश्य
Keywords:
महामारी, निर्वहन, पंचकोसी, लोकमर्यादा, मानवीयताAbstract
शोध का सार –
कोरोना ने पूरी दुनिया में ऐसी तबाही मचायी है कि लोगों का जीवन न सिर्फ अस्त–व्यस्त हुआ है बल्कि पूरी दुनिया में लाखों-करोड़ों लोगों को अपनी जान भी गवानी पड़ी है। ऐसी स्थिति आज और आने वाले कल के लिए एक सबक है। लेकिन भारतीय संदर्भ में बात की जाये तो वर्तमान समय में शासन और प्रशासन के द्वारा कोरोना से बचाव के लिए विभिन्न माध्यमों से जागरूकता दी जा रही है और कोरोना से बचने के लिए बार-बार सावधान करना और चेतावनी देने के बावजूद, अधिकांश जनता इस चेतावनी को दरकिनार कर अपनी मनमानी कर रहा है, जो घातक है। ऐसी स्थिति में कोरोना जैसी महामारी ने धीरे-धीरे अपना विकराल रूप धारण कर तबाही मचा रखी है जो आगे आने वाले संकट की ओर इशारा कर रहा है। जिस तेज गति के साथ भारतीय समाज की संरचना बदलती जा रही है, उससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाला समय ग्लोबल सुविधाओं के साथ विभिन्न संकटों और चुनौतियों से भरा होगा।
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