हिन्दी सिनेमा में दलित जीवन की अभिव्यक्ति

Authors

  • कुलदीप सिंह लेखक

Keywords:

सिनेमा, दलित, सवर्ण, वर्ण व्यवस्था, जाति, शिक्षा, निर्देशक, हाशिया उत्पीड़न, व्यथा, आक्रोश, सहानुभूति इत्यादि

Abstract

शोध सारांश

वर्तमान समय में साहित्य की भांति ही सिनेमा भी एक ऐसा सशक्त माध्यम है जिसके माध्यम से समाज अपने अक्स को देखता है । किन्तु यहाँ भी दलित समाज वर्ण व्यवस्था के चलते अपने को हाशिये पर पाता है । लगभग सौ वर्षों के इतिहास में समाज के विभिन्न मुद्दों को लेकर कई फिल्में बनी है किन्तु दलित समाज के उद्धार करने की चिंता,उनमें चेतना का संचार करने का लक्ष्य लेकर फिल्में  प्रायः न के बराबर ही बनी हैं ।जहां कहीं उनसे जुड़े प्रसंगों का चित्रण हुआ है उनमें उन्हें लाचार, बेबस और असहाय रूप में चित्रित किया गया है । कुछ नया दिखाने का प्रयत्न नहीं हुआ है बल्कि हमेशा वे इसी रूप में दिखाये जाते हैं जिसके कारण समाज में उनकी एक छवि बन गयी है और अक्सर वे उनके प्रति नकारात्मक सोच पैदा करने का काम करती है,जिसे तोड़े जाने की आवश्यकता है ।  प्रस्तुत लेख हिन्दी सिनेमा में दलित प्रसंगों को लेकर कौन-कौन सी फिल्में बनीं हैं, उनकी क्या वस्तु स्थिति है, उसकी पृष्ठभूमि में कैसे कारण काम करते हैं और इस क्षेत्र में क्या संभावनाएं हैं उसको रेखांकित करने का प्रयत्न हुआ है |

Downloads

Download data is not yet available.

Author Biography

कुलदीप सिंह लेखक

अतिथि प्राध्यापक, सिक्किम विश्वविद्यालय

 

Downloads

Published

2022-05-11

How to Cite

लेखक क. स. (2022). हिन्दी सिनेमा में दलित जीवन की अभिव्यक्ति. पूर्वोत्तर प्रभा, 1(1 (Jan-Jun), p.42–46. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/48