प्रेमचंद और हमारा समय

Authors

  • नीलम कुमारी लेखक

Keywords:

कोरोनाकाल, विमुद्रीकरण, बीप, मॉब लिंचिंग

Abstract

सारांश

इस आलेख में प्रेमचंद तथा उनकेसाहित्य को कोरोनाकाल से जोड़कर देखने का प्रयास किया गया है।महामारी के विरुद्ध चिकित्सकों और समाजसेवकों का संघर्ष तथा उनके महत्व को रेखांकित किया गया है जिसमें अपने कर्तव्य से भागने वाले चिकित्सकों तथा समाजसेवकोंका भी वर्णन किया गया है। रोटी, कपड़ा और मकान के लिए तरसते मज़दूरों की समस्या हमारे समय की समस्याओं से एकमेक होती नज़र आती है। शिक्षा और रोज़गार प्रेमचंद के बाद भी आम आदमी के लिए अहम मुद्दा बना रहा। जातिगत भेदभाव, स्त्रियों की शिक्षा, सत्ता का भ्रष्ट चरित्र इत्यादि के साथ-साथ प्रेमचंद किसान जीवन का चित्रांकन भी अपने लेखन में किया हैजिसे आज के परिप्रेक्ष्य में रखकर देखा जा सकता है।प्रेमचंद  ने साहित्य और पत्रकारिता के लिए सत्ता और पूँजीपतियों को खतरे के रूप में देखा। भाषा का मुद्दा वैश्विक समस्या के रूप में प्रमचंद और हमारे समय का महत्वपूर्ण विषय है। उपरोक्त विषयों को प्रेमचंद के साथ-साथ हमारे समय से भी जोड़कर इस लेख में देखा गया है।

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Author Biography

नीलम कुमारी लेखक

असिस्टेंट प्रोफेसर

दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज में एन.सी.डब्लू.ई.बी.

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Published

2022-05-10 — Updated on 2022-05-10

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How to Cite

लेखक न. क. (2022). प्रेमचंद और हमारा समय. पूर्वोत्तर प्रभा, 1(1 (Jan-Jun), p.47–53. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/45