तुलसीदास

कवि–कर्म की उदात्त विजय गाथा

Authors

  • भैरव सिंह सहायक अध्यापक, हासीमारा हिंदी हाई स्कूल, अलीपुरद्वार

Keywords:

मध्यकाल, भारतीय संस्कृति, इस्लामिक संस्कृति, तुलसीदास, कवि-कर्म, रत्नावली

Abstract

'तुलसीदास' निराला की लंबी कथात्मक कविता है। अगर आप यह जानना चाहते हैं कि कवि-कर्म किस महान उद्देश्य से परिचालित होता है, तो निराला की इस रचना को पढ़ें। अगर आप यह जानने को इच्छुक हैं कि ‘कला कला के लिए या जीवन के लिए ' या कविताई कोई शौक–शगल (केवल पद, पैसा, यश प्राप्ति का माध्यम भर) की चीज है या कठोर साधना और तपस्या, तो निराला की इस कृति को पढ़ें। अगर आप एक कवि के रचनात्मक-संघर्ष और उसकी सम्पूर्ण रचना- प्रक्रिया को समझना चाहते हों, तो निराला की इस रचना का अवलोकन करें। अगर आप एक कवि की दृष्टि से मध्यकालीन भारत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की वास्तविकता (सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों का ह्रास और फिर उसके विकास के लिए संघर्ष।) से परिचित होना चाहते हों, तो निराला की इस कृति को पढ़ें। अगर आपका मन यह जानने को उत्सुक हो रहा है कि कैसे भक्तिकाल का एक कवि, आधुनिक हिन्दी- कविता के श्रेष्ठ व अद्वितीय कवि (निराला) का सर्वप्रिय व आदर्श कवि बन बैठा, तो इस कविता को पढ़ें। अगर आप कला की गरिमा के साथ सांस्कृतिक चिंतन की गहराई की थाह लेना चाहते हों और साथ ही यह की कैसे एक छायावादी कवि अपनी प्रतिभा और कठिन साध्य परिश्रम के बलबूते अपनी रचना और पाठक को रोमांटिक धरातल से क्लासिक धरातल पर पहुंचा देता है तो निराला की इस महत्वपूर्ण रचना को अवश्य पढ़ें। मध्यकाल के महान लोकवादी कवितुलसीदासको केंद्र में रखकर ही निराला ने इस कविता की रचना की है।तुलसीदासही इस कविता में काव्य-नायक हैं।तुलसी को ‘हिन्दू-संस्कृति के जीर्णोंधारक’ के रूप में दिखाया गया है। जो काम निराला ने ‘राम की शक्तिपूजा’ में राम से ‘शक्ति की मौलिक कल्पना’ की अवधारणा को साकार करके करवाया, वही काम ‘तुलसीदास’ में तुलसी की रचनात्मक शक्ति (लेखनी) के माध्यम से करवाते हैं। 

 

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Published

2022-05-12

How to Cite

सिंह भ. . (2022). तुलसीदास : कवि–कर्म की उदात्त विजय गाथा . पूर्वोत्तर प्रभा, 1(2 (Jul-Dec), p.109–120. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/43