गुरदयाल सिंह और फणीश्वरनाथ रेणु के उपन्यासों में लोककथाएं एवं लोक रीति-रिवाज
Keywords:
लोककथा, लोक रीति-रिवाज, खूबसूरत पक्षी, रूप बसन्त, पूरन भक्त सदाब्रिजAbstract
प्रस्तुत आलेख का उद्देश्य गुरदयाल सिंह और फणीश्वरनाथ रेणु के उपन्यासों में प्रयुक्त लोक कथाओं के द्वारा समाज के ज्ञान, समझ, नैतिक मूल्यों और जानकारी को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे पहुंचाना है। दोनों ही महान कथाकारों ने अपने अपने अंचल में प्रचलित लोक कथाओं के प्रयोग के माध्यम से वहां के लोक की सामाजिक, धार्मिक और नैतिक मानसिकता को उजागर किया है। गुरदयाल सिंह और फणीश्वरनाथ रेणु अपने समय के महान कथाकार हैं। इनकी रचनाएँ आज भी समाज में प्रासंगिक हैं। इनके उपन्यासों में अंचल से संबंधित लोक-कथाएँ एवं लोकरीति-रिवाजों का वर्णन हुआ है। इनके द्वारा रचित उपन्यासों में उल्लेखित पौराणिक, ऐतिहासिक, राजाओं से संबंधित, बुजुर्गों से संबंधित एवं परिवार से संबंधित कथाएँ आज भी पाठक बड़े जिज्ञासा से पढ़ते हैं। इन कथाओं में वर्णित विविध लोकरीति एवं विविध रिवाजों को अभी भी लोग पालन करते हैं। दोनों रचनाकारों के उपन्यासों में वर्णित कथाएं अत्यंत ही लोकप्रिय है।
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