अहिंसाः एक शाश्वत-कालजयी भावना

गांधी दर्शन के संदर्भ में

Authors

  • अनुपाल भारद्वाज सहायक प्रोफेसर, स्नातकोत्तर हिन्दी-विभाग डीएवी महाविद्यालय अबोहर, पंजाब

Keywords:

अहिंसा, हिंसा, महात्मा गांधी, कालजयी भावना

Abstract

अहिंसा परमो धर्मःसनातन संस्कृति के सबसे महत्त्वपूर्ण सिद्धांतों  में से एक है। हज़ारों वर्षों के इतिहास में जाने कितनी बार यह देश बना, बिगड़ा। मानव ने अपने प्रभुत्व के लिए कितना खून बहाया, अंदाज़ा लगाना मुश्किल है परन्तु अंत में अहिंसा की भावना को अपनाना उसकी आवश्यकता भी है और समय की अपेक्षा है। अहिंसा का सिद्धांत प्रासंगिक है और रहेगा। भारत इस सिद्धांत का जनक है  जिसका अनुसरण दूसरे देश करते हैं। अहिंसा का मार्ग अपरिवर्तनीय है। इसके लिए सत्य, विनम्रता, सहिष्णुता, प्रेम,दयालुता को हमें अपनी दिनचर्या में अपनाना होगा। अहिंसा यदि पूरे व्यक्तित्व पर अनुप्राणित होगी तो ही व्यवहार में लायी जा सकती है। हिंसा का विकल्प हिंसा कभी नहीं हो सकती। महात्मा गांधी जीवन पर्यन्त इस पर अडिग रहे। वे आधुनिक समय के अहिंसा के संदेश के सर्वोच्च संदेशवाहक  थे। सत्य और अहिंसा के दम पर उन्होंने अंग्रेज़ों से लोहा लिया था। उनके इस सिंद्धांत को केवल भारत अपितु पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त की विश्व के अनेक नेताओं ने उनके अहिंसा के सिद्धांत को अपनाया। उनके योगदान को स्वीकार करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ(यू. एन. .) ने 2, अक्तूबर 2008 से इस दिन को  ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवसके रूप में मान्यता प्रदान की। विचार भले ही दशकों पुराने हैं परन्तु अहिंसा की आवश्यकता आज भी उतनी ही है जितनी पहले थी, बल्कि उससे भी अधिक है। इस समय देश में हिंसा का जो दौर चल  रहा है, वह आगे चल कर क्या रूप ग्रहण करेगा, किस दिशा की तरफ जाएगा सोचकर ही सिहरन पैदा होती है। महात्मा गांधी का कालजयी अहिंसा-दर्शन मानव को, देश कोविश्व को दिशा देने का काम कर सकता है। ऐसा पूर्ण विश्वास है।

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Published

2022-05-12

How to Cite

भारद्वाज अ. . (2022). अहिंसाः एक शाश्वत-कालजयी भावना : गांधी दर्शन के संदर्भ में. पूर्वोत्तर प्रभा, 1(2 (Jul-Dec), p.100–103. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/41