राजभाषा हिन्दी की दशा और दिशा

Authors

  • सुनील कुमार पाण्डेय सहायक प्रोफेसर, विधि संकाय, अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय, भोपाल
  • चन्दन कुमार सहायक प्रोफेसर, पाटलीपुत्र विश्वविद्यालय, पटना

Keywords:

राजभाषा, राष्ट्रीय एकता, नीति-निर्माता, हिन्दी परिषद, हिन्दी अनुवाद ब्यूरों, मातृभाषा, प्रशासनिक सेवा, पाश्चात्य संस्कृति

Abstract

हिंदी भारत की राजभाषा और संपर्क भाषा होने के साथ साथ अघोषित राष्ट्रभाषा भी है। हिंदी राजकाज के कार्यों को पूर्णतया निष्पादित करने में सक्षम है एवं साहित्यिक दृष्टी से भी यह समृद्ध है। इस भाषा का साहित्य भंडार भी समृद्ध है। हिंदी में ज्ञान विज्ञान तथा प्रशासन संबंधी पारिभाषिक शब्दावली का निर्माण इतनी प्रचुर मात्रा में हो चुका है कि वह सब प्रकार से राजकाज चलाने में सक्षम है। यह भाषा इतना सक्षम होने के बावजूद भी आज राजकाज में जिस हिसाब में कार्य होना चाहिए था वैसा नहीं हो रहा है। परम्परागत ढंग से हम प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस अवश्य मानते हैं और भारतीय गणराज्य की राजभाषा का उच्च दर्जा दिलाने का रोना भी रोते हैं, इन सबके बावजूद हिन्दी अपने ही देश में अपने वास्तविक अधिकार को प्राप्त नहीं कर पा रही है।

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Published

2022-05-12

How to Cite

पाण्डेय स. क. ., & कुमार च. . (2022). राजभाषा हिन्दी की दशा और दिशा. पूर्वोत्तर प्रभा, 1(2 (Jul-Dec), p.77–80. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/35