झारखंड की जनजातीय लोककविता के प्रतिमान

Authors

  • दिनेश्वर प्रसाद भूतपूर्व विभागाध्यक्ष, हिंदी विभाग, रांची विश्वविद्यालय, रांची

Keywords:

लोक कविता, लोकगीत, प्रतिमान, झारखण्ड

Abstract

जनजातीय लोक कविता के प्रतिमान आलेख लोककविता की आधुनिक छंदोबद्ध कविता से भिन्नता एवं उसकी मूलभूत विशेषताओं को रेखांकित करता है| लोककविता के मूल स्वर को पहचान कर उसके सामाजिक, मनोवैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं को भी उद्घाटित करता है| लोककविता की विशेषताओं को रेखांकित करने के लिए विभिन्न प्रतिमानोंगीतबद्धता, काव्यानुभूति की सामूहिकता, सपाटबयानी-सरलता-आलंकारिता एवं आवृत्तिबद्धता के पहलुओं पर विचार करता हुआ यह आलेख कविता के मानदंडों को भी विश्लेषित करता एवं उन पर प्रश्न  उठाता है

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Published

2022-05-12

How to Cite

प्रसाद द. . (2022). झारखंड की जनजातीय लोककविता के प्रतिमान. पूर्वोत्तर प्रभा, 1(2 (Jul-Dec), p.73–76. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/34