डिजिटल अर्थव्यवस्था
भारत के विशेष संदर्भ में
Keywords:
मोबाईल फोन, इन्टरनेट, सोशल मीडिया के उपकरण, डिजिटल पहचान कार्यक्रमAbstract
सामान्य शब्दों में डिजिटलीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके अन्तर्गत एक इलैक्ट्रोनिक्स पद्धति के माध्यम से 0 से लेकर 1 तक की संख्याओं या सूचनाओं को भेजने का कार्य किया जाता है। यह एक सरल व आसान प्रक्रिया है, जो लोगों के कार्यो को तीव्रगति से कम से कम समय में पूर्ण करने की क्षमता रखती है। विश्व में इस प्रक्रिया को तब पहचाना गया था, जब सन 1995 में डॉन टेपसस्कॉट की प्रसिद्ध पुस्तक- द डिजिटल इकोनॉमी- प्रोमिस एण्ड पेरिल इन द ऐज ऑफ नेटवर्क इंटेलिजेस में इस शब्द को पढ़ा गया था। इसके बाद डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में एक क्रांति का उदभव हुआ और विश्व के अधिकाँश देशों ने इसे अपनाना प्रारंभ किया था। भारत के संदर्भ में इस अर्थव्यवस्था की शुरूआत सन 1990-91 के दशक में आर्थिक सुधार कार्यक्रम के परिणामस्वरूप हुयी थी, जिसके तहत सर्वप्रथम बैकिंग क्षेत्र में ए.टी.एम. (ATM) मशीनों के माध्यम से लोगों की नगद लेनदेन प्रक्रिया का शुभारंभ हुआ था। इस अवधारणा ने न केवल लोगों के व्यवहार व बातचीत की पद्धति में बदलाव उत्पन्न किया, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से सूचना व संचार प्रौद्योगिकी से संबंधित उपकरणों के उपयोग में वृद्धि हुयी थी और समय के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था नवीन उत्पादों, तकनीकी, डिजिटल उत्पादों व सेवाओं पर केन्द्रित हो गयी थी। आज भारतीय अर्थव्यवस्था ने डिजिटल क्षेत्र में इतनी अधिक प्रगति हासिल कर ली है कि विश्व के चीन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद तीसरी सबसे बड़ी डिजिटल अर्थव्यवस्था का दर्जा दिया जा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था को डिजिटल अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने में न केवल निजी कंपंनियों व व्यवसायों का योगदान रहा है, बल्कि भारत सरकार ने भी अपना भरपूर सहयोग दिया है। वर्ष 2015 में आरंभ किया गया डिजिटल इंडिया कार्यक्रम इसका प्रमाण है, जिसके तहत हमने विश्व का सबसे बड़ा डिजिटल पहचान कार्यक्रम आयोजित करके देश के लगभग सभी नागरिकों को एक विशिष्ट पहचान प्रदान की है। डिजिटल पहचान कार्यक्रम के अन्तर्गत अब तक कुल 1.2 बिलियन से अधिक भारतीयों को जोड़ा जा चुका है, जबकि निजी क्षेत्र में रिलायंस तथा इन्टरनेट का सर्च इंजन गूगल (Google) है, जिन्होंने इन्टरनेट के क्षेत्र में एक प्रकार की क्रांति उत्पन्न कररके अधिक से अधिक लोगों को इन्टरनेट का उपयोग करने के लिये प्रेरित किया है। वर्ष 2018 के आँकड़े बताते है कि लगभग 560 मिलियन भारतीय लोगों ने इन्टरनेट का उपयोग किया था। इन सभी आँकड़ो के आधार पर कहा जा सकता है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारत का भविष्य अति उत्तम है और इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था डिजिटल रूप से विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी।
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