बोड़ो की समाज-संस्कृति और उसमें हुए परिवर्तन
Keywords:
बोड़ो, समाज, संस्कृति, जनजाति, पारंपरिक चिह्न, बाथौ पुजा, खेराई पुजाAbstract
संस्कृति किसी भी जाति-जनजाति की विशेषताएँ बतलाने का कार्य करती है। भाषा, धार्मिक आस्था, पर्व-त्योहार, रहन- सहन के तौर-तरीके, खान-पान, परंपरागत आचार-विचार एवं मान्यताएँ यह विश्व समुदाय में अपनी एक अलग पहचान प्रस्तुत करती है। बोड़ो असम में रहनेवाली प्रमुख जनजाति है। यह असम के ब्रह्मपुत्र घाटी के आसपास, बंगाल के कुछ क्षेत्रों से होते हुए नेपाल के झापा तक फैले हुए हैं। जंगलों, नदियों के आसपास रहनेवाले प्रकृति प्रेमी बोड़ो जनजातियों के पास अपनी एक समृद्ध संस्कृति है। इनकी रंगीन पोशाक, गायन, वादन, लोकगीत, लोकनृत्य पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती है। वहीं आज हमें बोड़ो समाज में कई बदलाव भी देखने को मिलते हैं। आधुनिकता के इस युग में बदलाव शब्द कोई नयी नहीं है। बोड़ो समाज ने भी आज कई पुरानी मान्यताओं को तोड़कर नयी मान्यताओं को आत्मसात कर लिया है।
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