केदारनाथ अग्रवाल का साहित्य और सामाजिक यथार्थ
Keywords:
प्रगतिशील, मार्क्सवादी विचारधारा, हरिजनोंद्धार, जनवादी दृष्टिकोण, क्रांतिकारीमजदूर, मानवीय संवेदना, सामाजिक यथार्थAbstract
शोध सारांश
साहित्य जगत के दैदीप्यमान नक्षत्र श्री केदारनाथ अग्रवाल हिंदी के प्रगतिशील काव्यधारा के प्रख्यात साहित्यकार माने जाते हैं। वास्तव में केदारनाथ अग्रवाल युगदृष्टा कवि के साथ-साथ जनता के कवि, धरती के कवि, किसान के कवि, खेतिहर मजदूर कवि एवं कचहरी के कवि भी हैं। आपने मार्क्सवादी दर्शन को जीवन का आधार माना है क्योंकि आपके मन में जनसाधारण के प्रति गहरी एवं व्यापक संवेदना व्याप्त है। अजित पुष्कल जी ने भी महसूस किया "संवेदना के धरातल पर केदार की कविता प्रेमचंद की कहानी के नजदीक लगती है।
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Published
2022-05-06
How to Cite
ज्योति कुशवाहा. (2022). केदारनाथ अग्रवाल का साहित्य और सामाजिक यथार्थ. पूर्वोत्तर प्रभा, 1(1 (Jan-Jun), p.32–34. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/20
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शोध लेख
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Copyright (c) 2022 पूर्वोत्तार प्रभा
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