सेवाभाव से प्रेरित पत्रकारिता गांधी के विशेष संदर्भ में

Authors

  • नंदिनी हर्षदराय द्विवेदी गुजरात विद्यापीठ
  • डॉ. विनोद कुमार पांडेय गुजरात विद्यापीठ

Keywords:

गाँधी, पत्रकारिता, सेवा, सामाजिक, विचार, लोककल्याण

Abstract

सारांश:

महात्मा गाँधी का नाम लेते ही एक हाड़-मांस के पतले-दुबले व्यक्ति नजर के सामने आता है। जिसके बदन पर एक धोती, एक छड़ी, चश्मा और हाथ में अक्सर कागज और कलम। महात्मा गांधी को राष्ट्र बापू के नाम से सम्बोधित करता है। महात्मा गाँधी की पत्रकारिता में सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, विषयों पर गम्भीर चर्चायें होती थी। गांधीजी एक प्रतिष्ठित पत्रकार थे। दक्षिण अफ्रिका में अपने प्रवास के दौरान वहाँ बसे अश्वेत भारतीयों के साथ अमानवीय व्यवहार को देखकर उनका मन बहुत द्रवित हुआ। वह यथास्थिति से लोगों को अवगत कराने के लिए उन्होंने इंडियन ओपिनियन नामक समाचार पत्र सेवाभाव से शुरू किया। उनकी आवाज बनने की कोशिश की जो पत्रकारिता का मूल धर्म सेवा था। महात्मा गांधी अखबार को विचारों को फैलाने का सबसे ताकतवर जरिया मानते थे। उन्होंने कभी भी पत्रकारिता को अपनी आजीविका का आधार बनाने की कोशिश नहीं की, उनका कहना था कि- “‘पत्रकारिता कभी भी निजी हित या आजीविका कमाने का जरिया नहीं बनना चाहिए और अखबार या संपादक के साथ चाहे जो भी हो जाय, लेकिन उसे अपने देश के विचारों को सामने रखना चाहिए, नतीजे चाहे जो भी हों।” महात्मा गांधी एक मिशनरी पत्रकार थे और वे मिशन की सफलता के लिए पत्रकारिता एक अत्यंत सशक्त माध्यम है ऐसा समझते थे। गांधी को अपनी तेज-तरार एवं आक्रमक लेख के कारण सहन भी करना पड़ा| फिर भी पत्रकारिता धर्म को नहीं छोडा | उन्होंने ‘नवजीवन’, ‘हरिजन’ व ‘यंग इंडिया’ नामक विचारपत्रों का प्रकाशन किया| जिसमें विविध विषयों में सेवाभाव प्रकाशित किये| जिससे देश को नई दिशा मिली।

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Author Biographies

नंदिनी हर्षदराय द्विवेदी, गुजरात विद्यापीठ

शोधार्थी, पत्रकारिता एवम् जनसंचार विभाग

गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद, (गुजरात)

डॉ. विनोद कुमार पांडेय, गुजरात विद्यापीठ

प्रोफेसर, पत्रकारिता एवम् जनसंचार विभाग

गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद, (गुजरात)

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Published

2022-05-06

How to Cite

नंदिनी हर्षदराय द्विवेदी, & विनोद कुमार पांडेय. (2022). सेवाभाव से प्रेरित पत्रकारिता गांधी के विशेष संदर्भ में . पूर्वोत्तर प्रभा, 1(1 (Jan-Jun), p.27–31. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/19