प्रेमचन्द के साहित्य में साम्प्रदायिक सद्भावना
Keywords:
सांप्रदायिक तनाव, राजनीतिकरण, मानवीय मूल्यों का क्षरण, आतंक, दूषित वातावरण, इंसाफ़ आदिAbstract
भारत जैसे देश में साम्प्रदायिकता एक कोढ़ के समान है। यह ऐसी है बिमारी है जो भारत देश को अंदर ही अंदर कमजोर करती है। भारत एक ओर जहाँ वैश्वीकृत होकर विकास के मार्ग पर अग्रसर हो रहा है, वहीं साम्प्रदायिक ताकतें इसके मार्ग में हमेशा रोड़ा लगाते आई है। भारत की आजादी से पहले भी साम्प्रदायिक ताकतें सक्रिय थी, आजादी के बाद एक सपना देखा गया था कि अब भारत साम्प्रदायिकता से मुक्त होकर एक नया राष्ट्र बनेगा, किन्तु पाकिस्तान की स्थापना और कश्मीर मुद्दे ने इसे हमेशा के लिए भारतवासियों के हृदय में बसा दिया। आज भले कश्मीर की समस्या एक समाधान के रुप में दिखाई पड़ रही है, किन्तु केन्द्र शासित प्रदेश बनने के बाद कश्मीर किस मार्ग पर बढेगा, यह तो समय ही बताएगा। उधर पाकिस्तान हर वक्त भारत की शांति भंग करने का नया-नया तरीका इजाद करता रहता है। कश्मीर के केन्द्र शासित प्रदेश बनने को पाकिस्तान किस नजर से देखता है, यह उनके रवैये से पता चल रहा है।
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