नव माध्यम के सैद्धांतिक अभिलक्षण
Keywords:
नव माध्यम, नव माध्यम के सैद्धांतिक अभिलक्षण, लेव मौनोविच व मार्टिन लिस्टर के दृष्टिकोण, आभासी यथार्थ, साइबर दुनियाAbstract
मनुष्य का विकास सामाजिक प्राणी के रूप में होने के साथ ही संचार की विभिन्न प्रणालियाँ भी विकसित होने लगीं। कालक्रम में वैज्ञानिक उन्नति के साथ संचार माध्यमों का अभूतपूर्व विकास हुआ है। अनुसंधान और आविष्कारों की निरंतरता का परिणाम है- नव माध्यम और इनसे जुड़ी प्रौद्योगिकी। नव माध्यम का विकास परिवर्तन की तीव्रगति का प्रतीक है। नई प्रौद्योगिकी से विकसित नव माध्यम के सौद्धांतिक अभिलक्षणों का विश्लेषण इस आलेख का मुख्य उद्देश्य है। नव माध्यम के विकास का लाभ संचार व्यवस्था व अन्य कई दृष्टियों से समूची मानवता को कई रूपों मिल रहा है। भाषायी दृष्टि से सूचना प्रौद्योगिकी को विकसित करने के दौर में मूलतः प्रयुक्त अंग्रेज़ी के अलावा आज हिंदी सहित दुनिया की कई भाषाओं को भी नव माध्यमों का लाभ मिल पा रहा है।
कतिपय भारतीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में ‘नव माध्यम’ विषयक अध्ययन विगत दो दशकों से जारी है। विश्वविद्यालयों के पत्रकारिता व जनसंचार विभागों में एक नए विषय के रूप में जहाँ हिंदी माध्यम से अध्ययन हो रहा है। एक मुक्त विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में ‘न्यू मीडिया’ संबंधी पाठ्यपुस्तक मेरे विद्यार्थी हाथ में देखने का मुझे अवसर मिला। उसमें केवल सामाजिक माध्यम (सोशल मीडिया) का विश्लेषण ‘न्यू मीडिया’ के रूप में प्रस्तुत है। कहीं भी नव माध्यम के सैद्धांतिक चिंतन की ओर ध्यान नहीं दिया गया है, जबकि यह चिंतन अत्यंत महत्वपूर्ण है। यही चिंतन नव विकसित, विकासरत अवधारणाओं, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक परिस्थितियों को समझने में उपयोगी है। नए परिवेश में पाठ के अध्ययन की दृष्टि से इनकी समझ अपेक्षित है। डिजिटल मानविकी (Digital Humanities) की समझ विकसित करने की दृष्टि से भी यह चिंतन महत्वपूर्ण है।
Downloads
Downloads
Published
How to Cite
Issue
Section
License
Copyright (c) 2024 पूर्वोत्तर प्रभा
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International License.