महाकवि कालिदास कृत ‘मेघदूत’ में पर्वतीय यात्रा का अनुशीलन
Keywords:
भौगोलिक सौंदर्य, काव्यांजलि, दैदीप्यमान, दर्शन, प्रस्तोता, सिद्धस्थ, प्रतिनिधित्वAbstract
शोध सारांश : विश्व प्रसिद्ध महाकवि कालिदास की रसवादी कला उनके अप्रतिम कलात्मक सौंदर्य के दर्शन कराती है,इसलिए महाकवि कालिदास को अनेक आलोचकों ने रस का संपूर्ण कवि, सर्वांग रस का सिद्ध कवि कहा है। कालिदास की काव्य साधना भौगोलिक दृष्टि से भी पूर्ण परिपाक दर्शन करवाती है। कालिदास कृत मेघदूत एक दूत काव्य है,इस काव्य में एक निर्वासित यक्ष द्वारा अपने देश अलकापुरी में अपनी प्रेयसी यक्षी को संदेश भेजने की काव्यांजलि में कवि भूगोल के प्रस्तोता जान पड़ते हैं, अतः कालिदास की साहित्य साधना में भौगोलिक विद्वता को चिह्नित करती हैं। ‘मेघदूत’ काव्य में कवि भारत के भौगोलिक सौंदर्य को प्रस्तुत करते हुए संपूर्ण भारतवर्ष का दर्शन करवा रहा है। विशाल भारत के विभिन्न स्थलों का साक्ष्य का यहाँ सजीव वर्णन हुआ है। यहां आम्रकूट पर्वत, विंध्याचल पर्वत और विंध्याचल से होता हुआ उज्जैन महाकाल दर्शन शिप्रा स्नान कुंभ मेले का महत्त्व से आगे बढ़ते हुए देवगिरि पर्वत, देवगिरि से कुरुक्षेत्र और कुरुक्षेत्र से हिमालय की ओर हिमालय से कैलाश पर्वत- मानसरोवर और अलकापुरी की यात्रा को सुंदर काव्यांजलि में प्रस्तुत किया है। इससे स्पष्ट है कि स्वयं कालिदास ने उक्त स्थलों की यात्राएं की हैं क्योंकि ऋतु अनुसार प्रसंग प्रस्तुति, भिन्न- भिन्न क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति एवं उसके महत्त्व को सौम्य शब्दावली में चित्रित किया है जो सच्चा यायावर द्वारा ही संभव हो सकता है।
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