दैहिक स्वतंत्रता की मांग करती ‘मित्रो’

Authors

  • सुरजालेखा ब्रह्म

Keywords:

समाज, शोषण, स्वतंत्रता, स्त्री, पुरुषसत्ता, अधिकार, यौन, काम

Abstract

शोध सार : स्वातंत्रोत्तर कालीन महिला लेखिकाओं में ‘कृष्णा सोबती’ सर्वोत्तम स्थान पर हैं। हिन्दी साहित्य में स्त्री की स्थिति और उसमें आए परिवर्तनों पर बहुत कुछ लिखा गया है। उनमें स्त्री चेतना का प्रखर स्वर मिलता है इसलिए उन्हें 'बोल्ड लेखिका' का खिताब मिला है उन्होंने अपनी रचनाओं में नारी पात्रों का चित्रण अप्रतिम ढंग से किया है। समाज में नारी की स्थिति एवं उसके संघर्षमय जीवन की दयनीय स्थिति का चित्रण कर इन्होंने नवीन मूल्यों की स्थापना की हैं। उनकी नारी पात्र डरी या सहमी हुई नहीं रहती बल्कि वह परिस्थितिवश आनेवाले संकटों का मुक़ाबला करने को तत्पर रहती है। सोबती का सम्पूर्ण लेखन नारी स्वतंत्रता पर केन्द्रित है। उनके कथा साहित्य में नारी मुख्य पात्र है। उनकी हिम्मत एवं जूझने की अदम्य शक्ति की हमें दाद देनी पड़ेगी,उन्होंने बिना किसी झिझक के तमाम स्त्री पात्रों को बहुत ही बेबाक चित्रित किया है।

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Author Biography

सुरजालेखा ब्रह्म

पीएच.डी. शोधार्थी हिंदी विभाग,सिक्किम विश्वविद्यालय, गंगटोक

Published

2023-05-08

How to Cite

सुरजालेखा ब्रह्म. (2023). दैहिक स्वतंत्रता की मांग करती ‘मित्रो’. पूर्वोत्तर प्रभा, 2(2 (Jul-Dec), p. 49–55. Retrieved from http://supp.cus.ac.in/index.php/Poorvottar-Prabha/article/view/137