हिंदी सिनेमा में चित्रित आदिवासी समुदाय
Keywords:
सिनेमा, आदिवासी समुदाय, संस्कृति, मृगया, न्यूटनAbstract
शोध सार : साहित्य से हमें संवेदना मिलती है और सिनेमा से विचार। इन्हीं संवेदनाओं और विचारों से मनुष्य जीवन संचालित होता है। हमारा जीवन तमाम भौतिक घटनाओं से प्रभावित होता आया है। उन्हीं में से मनुष्य जीवन में सिनेमा का देखा जाना भी सबसे विचित्र और प्रभावित घटना है। 110 सालों के सिनेमाई इतिहास ने समाज के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सिनेमा के इतने लंबे सफर के बाद भी हिंदी फिल्मों में आदिवासी समुदाय अपनी यथार्थ संस्कृति के रूप में अछूता ही रहा है। भारतीय आबादी में करीब 8 प्रतिशत की हिस्सेदारी आदिवासी समुदाय की हैं। इस समुदाय की अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराएं हैं, जिनका आधार प्रकृति है। उनके अपने लोकगीत और लोकनृत्य हैं, परंतु भारतीय फिल्मों में उन्हें हमेशा दोयम या उपद्रवी दिखाया जाता है। सदमा, विलेज गर्ल, अलबेला और रावण जैसी फिल्में इसका मुख्य उदाहरण हैं। उनकी संस्कृति को असभ्य बताकर उनका अपमान, साथ ही उन्हें जंगली बताकर हास्यास्पद दिखाया जाता है “एडवेंचर्स ऑफ टार्जन” ऐसी ही एक फिल्म है। इस सब के बावजूद कुछ फिल्में ऐसी भी हैं जो आदिवासी संस्कृति के बहुत करीब हैं। मृगया और न्यूटन जैसी फिल्में हैं जो आदिवासी संघर्ष और परंपराओं को यथार्थ रूप में रखने का प्रयास करती हैं।
Downloads
Downloads
Published
How to Cite
Issue
Section
License
Copyright (c) 2023 पूर्वोत्तर प्रभा
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International License.